Jharkhand

क्या Dhanbad लोकसभा सीट पर फिर से कब्जा कर लेगी BJP?Punjabkesari TV

1 month ago

झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से एक धनबाद लोकसभा सीट है...साल 2000 तक धनबाद भी बिहार का ही एक हिस्सा हुआ करता था...आपको बता दें कि धनबाद कोयले की खानों के लिये मशहूर है...इसीलिए इस पूरे क्षेत्र को कोयलांचल भी कहा जाता है...बराकर नदी के तट पर बसा यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से भी बेहद खूबसूरत है...इस नदी पर बना मैथन बांध पर्यटकों का पसंदीदा जगह तो है ही...यहां मां कल्यानेश्वरी का मंदिर भी है...जहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं...साथ ही तोपचांची झील भी पर्यटकों को उतना ही आकर्षित करती है...तो वहीं दामोदर नदी में स्थित पंचेत बांध लोगों के लिए पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है....अब बात करते हैं धनबाद लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की...तो इस सीट पर 1951 और 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के पीसी बोस जीतने में कामयाब रहे...जबकि 1962 में भी कांग्रेस के ही टिकट पर पीआर चक्रवर्ती चुनाव जीते...1967 में निर्दलीय प्रत्याशी रानी ललिता राज्य लक्ष्मी चुनाव जीतीं...1971 में फिर इस सीट पर कांग्रेस ने वापसी की और राम नारायण शर्मा चुनाव जीते...1977 में इस सीट पर कम्यूनिस्ट पार्टी ने पहली बार कब्जा जमाया...और एके रॉय चुनाव जीतने में सफल रहे...1980 में भी इस सीट पर एके रॉय ही चुनाव जीते...1984 में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में गई....और शंकर दयाल सिंह जीते...तो 1989 का में फिर से कम्यूनिस्ट पार्टी के टिकट पर एके रॉय ही चुनाव जीते...1991 में पहली बार इस सीट पर पर बीजेपी का खाता खुला और रीता वर्मा सांसद बनीं...और इसके बाद 1991, 1996, 1998 और 1999 तक लगातार सांसद रहीं...2004 में कांग्रेस के चंद्र शेखर दूबे सांसद चुने गए...जबकि 2009  और 2014 में  इस सीट पर बीजेपी का कमल खिला और पशुपति नाथ सिंह चुनाव जीते...2019 में भी बीजेपी की टिकट पर पशुपति नाथ सिंह ने ही जीत हासिल की....जबकि उनके खिलाफ कांग्रेस ने कीर्ति झा आजाद को मैदान में उतारा था...गौरतलब है कि धनबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं...जिनमें से धनबाद जिले की सिन्दरी, निरसा, धनबाद, झरिया और बोकारो जिले की  बोकारो और चन्दनकियारी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं...

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