क्या हजारीबाग पर कब्जा कायम रख पाएगी बीजेपी, 2024 के चुनाव में मनीष जायसवाल खिला पाएंगे कमलPunjabkesari TV
1 month ago झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से एक हजारीबाग लोकसभा सीट है...साल 2000 तक हजारीबाग भी बिहार का ही एक हिस्सा हुआ करता था...पहली बार इस सीट पर साल 1957 में हुए चुनाव में छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी की ललिता राज्य लक्ष्मी सांसद चुनी गईं...1962 में इस सीट पर स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर बसंत नारायण सिंह चुनाव जीते...1967 में भी निर्दलीय बसंत नारायण सिंह ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे...हालांकि 1968 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के मोहन सिंह ओबराय सांसद चुने गए...1971 में भी इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का ही कब्जा रहा और दामोदर पांडेय सांसद चुने गए...आपातकाल के बाद सन 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की हार हुई और जनता पार्टी के टिकट पर बसंत नारायण सिंह सांसद बने...इसके बाद 1980 में भी यह सीट जनता पार्टी के बसंत नारायण सिंह के पास ही रही...1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की और दामोदर पांडेय सांसद चुने गए...इस सीट पर 1989 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली और यदुनाथ पांडेय संसद पहुंचे...1991 में यह सीट CPI के खाते में गई...और भुवनेश्वर प्रसाद मेहता सांसद बनने में कामयाब रहे...1996 से लेकर 1999 तक हुए तीन आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली...जिसमें 1996 में महावीर लाल विश्वकर्मा और दो बार लगातार यानी 1998 और 1999 में यशवंत सिन्हा को जीत मिली...जबकि 2004 में CPI के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को जीत मिली...वहीं 2009 में यशवंत सिन्हा एक बार फिर से सांसद बने...तो 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिया और वे सांसद चुने गए...2019 में भी बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर जयंत सिन्हा ने ही लोकसभा का चुनाव जीता था.....गौरतलब है कि हजारीबाग लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं...जिनमें से हजारीबाग जिले की बरही, बड़कागांव, हजारीबाग और रामगढ़ जिले की रामगढ़ और मांडू विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं...